मूल्यपरक शिक्षण का उद्देश्य

विद्यार्थियों के संपूर्ण व्यक्तिव विकास के लिए वर्तमान युग की आवशकता है, कि इन्हें ऐसा सुदृढ़ आधार प्रदान किया जाए जिससे इनका शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं आत्मिक बल बढ़ सके| इसी उद्देश्य से विद्यार्थियों को मुल्यपुरक शिक्षा प्रदान की जाती है, ताकि युवा वर्ग में उच्च नैतिक मूल्यों का आरोपण हो और वे स्वयं सशक्त होकर देश के उतरदायी नागरिक बन सकें|

मूल्यपरक शिक्षण पाठ्यक्रम

अवधि : एक मास

यूनिट १: संस्कार एवं नैतिक मूल

  • संस्कार : अर्थ एवं स्वरूप
  • संस्कार : विभिन्न मान्यताएं एवं प्रकार
  • मानव जीवन में महत्ता एवं उपयोगिता
  • नैतिक मूल्य : अर्थ एवं स्वरूप
  • नैतिक मूल्य : परिभाषा
  • नैतिक मूल्यो की आवश्यकता एवं व्यावहारिकता

यूनिट २: सामाजिक चेतना

  • समाज के प्रति उतरदायित्व
  • उतरदायित्व : अर्थ एवं परिभाषा
  • उतरदायित्व : विभिन्न प्रकार एवं भूमिका
  • स्वयं के प्रति उतरदायित्व
  • परिवार के प्रति उतरदायित्व
  • समाज के प्रति उतरदायित्व
  • राष्ट्र के प्रति उतरदायित्व

यूनिट ३: रचनात्मक चिन्तन

  • चिन्तन : अर्थ एवं स्वरूप
  • चिन्तन : परिभाषा
  • साकारात्मक चिन्तन : अर्थ एवं स्वरूप
  • रचनात्मक एवं साकारात्मक चिन्तन में समन्वय
  • व्यवहार में चिन्तन की भूमिकाव

यूनिट ४: व्यावसायिक नैतिकता

  • व्यावसायिक नैतिकता अर्थ एवं स्वरूप
  • व्यावसायिक नैतिकता की अवधारणा एवं इसका महत्व
  • नैत्तिक सिध्दान्तो एवं समस्याओं का विस्तृत अध्ययन
  • परस्पर-विरोधी हित
  • व्यापारिक नैतिकता : परिचय एवं महत्व
  • सामाजिक अनुबंध : अर्थ एवं स्वरूप
  • गुणवत्ता, ईमानदारी, स्वरूप प्रतिस्पध